मार्केटिंग और अंतरराष्ट्रीय व्यापर में MBA कर रहे एवं माइक्रोसॉफ्ट और सिस्को जैसी प्रतिष्टित कंपनियों से इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त कर चुके , नलिन मेहरा ने अपने लड़कपन में ही कविताओं और साहित्य को अपना साथी बना लिया. २२ अक्टूबर १९८५ को बीकानेर (राजस्थान) में जन्मे और यहीं पले बड़े और यहाँ के राजसी तौर तरीकों की छाप उनके व्यक्तित्व और रचनाओ में भी देखने को मिलती है. मात्र २३ वर्षीय इस कवि को सूफियाना कलाम लिखने में बेहद सुकूं मिलता है. अपने ब्लॉग के अलावा बहुत सारी प्रतिष्टित वेब-पत्रिकाओं और वेबसाइट्स पे भी यह लिखा करते हैं, उन में से कुछ प्रमुख हैं शायरी डॉट कॉम , माउथशठ डॉट कॉम. बहरैचफन डॉट कॉम. इसके अलावा यह राजथान के प्रतिष्टित अख़बार दैनिक भास्कर में भी लिख चुके हैं. नलिन कविताओं के अलावा लेख भी लिखना पसंद करते हैं, हिंदी साहित्य और अंग्रेजी साहित्य में भी इनकी दखलंदाजी है पर उर्दू-हिंदी में ही अपनी कविताओं को पिरोना ज़यादा पसंद करते हैं. इस युवा कवि को अपनी रचनाओ में मोहोब्ब्त और प्रेम के रूहानी एहसास को बयां करने की चाहत रहती है. इनकी कुछ बहुत पसंद की गयी कवितायेँ जैसे की "काश", "गुज़रे हुए लम्हे" , "मोहोब्ब्त है क्या", "बहुत याद आता है "दीदी" तुम्हारा मुझे "भाई" कहके बुलाना" एवं " जब कभी वो उदास हो जाया करती है"
0 Comments